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Showing posts from March, 2020

राष्ट्र की समस्यातुफैल चतुर्वेदी

***********राष्ट्र की समस्या का समाधान, प्रत्येक हिंदू का व्यक्तिगत लक्ष्य राष्ट्र शब्द का प्राचीनतम प्रयोग सृष्टि के उषाकाल की पहली पुस्तक ऋग्वेद में आया है। राजनैतिक रूप से पचीसों राज्यों में विभक्त होने पर भी मोटे तौर पर अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान, बाँग्लादेश, वर्तमान भारत, नेपाल, थाइलैंड, बर्मा, मलेशिया, इंडोनेशिया आदि को भारत या हिन्द समझा जाता रहा है। 712 ईस्वी में भारत के एक राज्य सिंध पर इस्लामी आक्रमणकारियों का आक्रमण उन के रिकॉर्ड में हिन्द पर हमला लिखा गया है। ग़ज़वा-ए-हिंद की चर्चा जिस काल की इस्लामी पुस्तकों में हिन्द के नाते है तब भी भारत एक राजनैतिक इकाई नहीं था। कोई इसे जैसे चाहे देखे मगर भारत को नष्ट करने अर्थात सांस्कृतिक रूप से बदलने की सदियों से कुत्सित योजनायें बनाने वालों के लिये सांस्कृतिक भारत ही सम्पूर्ण भारत यानी हिन्द है। हिंद यानी हम पर आक्रमण सम्पत्ति-धन लूटने, स्त्रियों के अपहरण करने, ग़ुलाम बनाने के लिये नहीं हुए बल्कि हम पर आक्रमण कुफ़्र की भूमि को इस्लामी बनाने, विश्व को इस्लामी बनाने के चिंतन की आधार भूमि बनाने के लिये हुए हैं। ग़ज़वा-ए-हिंद यही है। हिन्द स

विविधता आणि एकता

।। दास-वाणी ।। अष्टधेचे जिनस नाना । उदंड पाहातां कळेना । अवघे सगट पिटावेना । कोणीयेकें  ।। सगट सारिखी स्थिती जाली । तेथें परीक्षाच बुडाली । चविनटानें कालविलीं । नाना अन्ने  ।। ।। जय जय रघुवीर समर्थ ।।  दासबोध : १७/१०/१४-१५ पृथ्वी आप तेज वायु आकाश मन बुद्धी आणि अहंकार अशा अष्टधा प्रकृतीच्या घटकांच्या वेगवेगळया मिश्रणातून असंख्य प्रकारचे जीव निर्माण झाले. नामरूपात्मक विविधता इतकी प्रचंड आहे की समजून घेण्याच्या आवाक्याबाहेर आहे. कोणी एक जण हा सर्व विस्तार सलग सांगू शकेल अशीही स्थिती नाहीये. हे सर्व सारखेच आहे कारण ' सर्वं खलु इदं ब्रह्म । ' असे जर कोणी म्हटले तर तिथे परीक्षा किंवा पारखच संपली. ज्याला चवच वेगवेगळी अशी समजत नाही तो चविनट. चव न समजणारा सर्वच प्रकारचे अन्न एकदमच ताटामधे कालवतो. आनंदाने खातो सुद्धा ! गुणांची जाण नसते तो टोणपा. वेगळेपण मानता कामा नये हे खरे परंतु वेगळेपण जाणलेच पाहिजे हे ही तितकेच खरे  ! टोणपसिद्धलक्षणनाम समास.