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श्रीरामकथा व श्रीराम जन्मभूमि

श्रीरामकथा व श्रीराम जन्मभूमि -- लीना मेहेंदले श्रीरामकथा व श्रीराम जन्मभूमिके परिप्रेक्ष्यमें वर्ष 2020 का विशेष महत्व है । इस वर्षका राम जन्मोत्सव दीर्घकालके लिए एक प्रतीक रहेगा कि अब हम किसीको दोबारा अपना आत्मबोध कुचलने नहीं देंगे । श्रीरामकथा जो हमें वाल्मीकि रामायणके द्वारा कही गई , वह कई अर्थोंमें अभूतपूर्व है । यह विश्वका आदि काव्य है और आदि इतिहास भी । महर्षि वाल्मीकिकी साक्ष्यके अनुसार यह इतिहास त्रेतायुगका है जिसके पहले सत्ययुग चलता है । अर्थात रामजन्मसे भी सहस्रों वर्ष पूर्व भारतमें संस्कृति एवं सभ्यताका उदय हो चुका था । समाजने सुख संपन्नता देखी थी , ज्ञान विज्ञान और कलाओंका विस्तार हो रहा था , समाजधारणाके नियम बन चुके थे , विभिन्न भू क्षेत्रोंमें विभिन्न राज्य थे जो कम या अधिक संपन्न थे और अपने अपने तरीकेसे प्रजा पालनमें लगे हुए थे । परंतु रामजन्मके समय सज्ज नोंके के लिए एक संकट भी उपस्थित हो चुका था और प्रतिदिन बढ़ रहा था । उस संकटका नाम था रावण । रावणका उदय , विस्तार व प्रभाव रामजन्मके कई वर्ष पूर्वसे चला आ रहा था । उसने घोर तपस्यासे भगवान