संता, बंता और दीपक कपूर
संता-बंता जा रहे थे। रास्तेमें एक अखबारके ऑफिसके बाहर बडे होर्डिंगपर अखबार का पहला पन्ना चिपकाया था। उसमे एक ओर रुपा बनियनकी ऍड व दुसरी ओर आदर्श घपलेकी न्यूज थी।
संता -- (बंतासे) -- तुम रूपाकी बनियान मत पहनना।
बंता -- क्यों ?
संता -- तू रूपाकी बनियान पहनेगा तो रूपा क्या पहनेगी ?
बंता चिढता है, कुढता है, होर्डिंगको ध्यानसे देखता है । फिर अचानक --
बंता -- (संतासे) -- तुम आर्मीमें जाओ तो दीपक कपूरकी बटालियन मत ज्वाईन करना।
संता - क्यों ?
बंता -- भारतीय फौजियोंको मरवाने के लिये यदि दुश्मनने उसे आदर्श फ्लॅट पेश किया तो दीपक कपूर क्या करेगा ?

Comments

HAREKRISHNAJI said…
खरचं किती वाईट गोष्ट आहे ही, प्रेताच्या टाळुवरचे ही लोणी खायला मागेपुढे विचार न करणारे देखील या दुनियेत आहेत.
Anonymous said…
kkuthwar chalat rahnar he sagal?
kuthavar aapan kahich karu shakat nahi mhanun hasanyavari ghalavanar aahot ya goshi?
ya bhrashtachrala kuthech ka ant nahia?
prashna!prashna!fakt prashnach!
anuttarich

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