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Showing posts from August, 2007

चित्र -- मराठी कथा से अनुवाद भाग 4/4

चित्र -- मराठी कथा से अनुवाद भाग 4/4 Also kept on website man_na_jane_manko मूल मराठी कथा -- परशुराम देशपांडे हिन्दी अनुवाद -- लीना मेहेंदले ॥॥॥॥॥॥ भोलानाथ की कॉमेंट्री चालू थी-- यहाँ राजकवि था केशव और राजनर्तकी गणेशकुँवर। वह भी कवयित्री थी। उसका बडा सम्मान था। रानी ने उसे राजघराने की स्त्र्िायोंकी बराबरीमें पालकी का सम्मान दिया था। अन्य राजस्त्र्िायोंकी तरह वह भी सुरंग के रास्ते बेतवा नदी पर नहाने जा सकती थी। राजकवि केशव भी राजा की पंगत मे बैठता था। बहुत ही कलाप्रिय घराना था। तभी प्रभुदास वहाँ पहुँचा। हमें भूतकालसे वर्तमान मे खींचते हुए उसने प्रस्ताव रख्खा-- आशुतोष, तेरी और अमिता की शादी के लिये इससे अच्छी जगह क्या हो सकती है? यहाँ अयोध्या से पधारे स्वयं रामचंद्र जी हैं।पंडित का काम करने के लिये मैं और भोलनाथ हैं। कन्यादान के लिये नायर और जयंती है। ये सामने इतने बाल बच्चे हैं जो बाराती बन जायेंगे। तू और अमिता अभी इसी पल ब्याह रचा ले। भोलानाथ ने सुर में सुर मिलाया-- हाँ अमिता, मंगल कार्य के लिये हर मुहूर्त शुभ होता है। जयंती ने भी फौरन अमिता का हाथ पकड कर कहा-- मैं कन्यादान

चित्र -- मराठी कथा से अनुवाद भाग 3/4

चित्र -- मराठी कथा से अनुवाद भाग 3/4 मूल मराठी कथा -- परशुराम देशपांडे हिन्दी अनुवाद -- लीना मेहेंदले ॥॥॥॥॥॥ वह आठ दस दिन नही आई तो मेरा मन हर पल उसी की याद में उलझा रहा। यदि आदत का कठोर अंकुश न होता तो मेरा संयम कबका टूट कर मैं उसके पास जा पहुँचता। भोलानाथ से मेरी व्याकुलता कैसे छिपी रहती? मैं जब सब कुछ सुना चुका तो एक लम्बी हुंकार भरते हुंए वह सोफे पर आराम से टिक गया और बुढऊ अंदाज में कहने लगा -- वाकई आशुतोष, हम सब कई दिनों से यही बातें कर रहे हैं कि अब तुम दोनों को शादी कर लेनी चाहिये। लेकिन नही। मेरा मन अब भी घबरा रहा था ऐसे किसी निर्णयसे। मैं एक उजडी इमारत के टूटे हुए शिलाखंड की तरह था। मेरे पिता भरा पूरा संसार छोडकर गिरी कंदराओं में भटकने के लिये निकल गये थे। वही मनमौजी खून मेरी भी रगोंमे दौड रहा था। उस खून की प्रवृत्त्िा से मैं डरता था जिसने इतनी आसानी से जिम्मेदारी ठुकरा दी थी। उन्हें पत्त्िायों की अनुगूँज में मंत्रों का घोष सुनाई देता तो मुझे भी तो रंगों के इशारे दिखते। हावडा स्टेशन का वो आसिस्टंट स्टेशन मास्टर गंगाप्रसाद मुखर्जी कभी तो अपने ऑफिस लौट आयगा इस उम्मीद स

चित्र -- मराठी कथा से अनुवाद भाग 2/4

चित्र -- मराठी कथा से अनुवाद भाग 2/4 मूल मराठी कथा -- परशुराम देशपांडे हिन्दी अनुवाद -- लीना मेहेंदले ॥॥॥॥॥॥ ओरछा.... हाँ, यह ओरछा ही है। मध्य प्रदेश के पुराने इतिहास को साँसो मे समाकर भी पतझड के रंगहीन पत्तों की तरह बुझा बुझा सा ओरछा... कृष्णन नायर -----मेरे आर्थिक मामले संभालने वाला मेरा सीए और अमिता ----उसकी नई प्राइवेट सेक्रेटरी । शुरू में मानने को तैयार ही नही कि कोई चित्रकार केवल चित्र बेचकर इतने पैसे कमा लेता है उसकी मोटी मोटी आँखों में बच्चोंसा कौतुहल देखकर मैं खुद उसे अपने चित्र दिखाने ले आया था। वहीं से शुरू हुआ हमारी प्रेमकहानी का प्रवास। लेकिन जीवन का यशोदायी कालखंड शुरू होने से पहले जो बीती थी उसे मैने मनके दूरदराज के कोने में बंद कर दिया था। उसे मैंने नही खोला। अमिता ने भी अपने पूर्व स्मृतियों को कही फेंक दिया था। जब मुझे ही उसके विषय में कुछ नही मालूम तो औरोको कैसे हो। फिर भी एक दूसरे का चैतन्य इतना गहरा था कि हमें बीती बातों को जानने की कोई ललक नही थी। स्त्री सौंदर्य के परिणाम मेरे जैसे चित्रकार की पलकोंने भी रटे होते हैं। अमिता उस दृष्टिसे कोई रूपवती नही थी।

चित्र -- मराठी कथा से अनुवाद भाग 1/4

चित्र मराठी कथा से अनुवाद भाग 1/4 Also kept on website man_na_jane_manko मूल मराठी कथा -- परशुराम देशपांडे हिन्दी अनुवाद -- लीना मेहेंदले मैं नवी मुंबई में आकर रहने लगा तबसे पांच वर्ष बीते। यहॉ शहरीकरण की अच्छी प्लनिंग है। चौडी सुंदर सडकें, करीने से बनी बहुमंजिली इमारतें और जनसंख्या वृध्दि। फिर भी दिनके ग्यारह बजते बजते सडके शांत हो जाती हैं। मानों सारी भीड को ऑफिसों ने सोख लिया हो। अलस्सुबह जब किसी बडी आवाज से जागकर घबराए पंछी पंख फडफडाते हुए उड जाते हैं और शोर करने लगते हैं तो उन्हें डरा हुआ जानकर पेडोंकी नटखट कोंपलें आपस में खुसफुस कर हँसती रहती हैं। तभी से रास्ता तैयार हो जाता है अलग अलग आवाजोंके धमाके झेलने के लिये। लेकिन इस मध्याह्न की बेलामें वह भी अखबार पढते हुए रिटायर्ड बूढे की तरह सुस्त हो जाता है। इस बेला तक मैं भी अपने सुबह के कामों से निवृत्त हो जाता हू। अब रास्ते पर ट्रॅफिक का शोर नही होगा और मेरे पास भी कोई नही आनेवाला है। फिर मै इझल के पास सरक जाता हू। वहॉ चित्रकारी के लिये पेंटिंग ब्रश, रंगों की टयूब्स, आदि सामान सजाकर कॅनवास से कव्हर हटा देता हू। बीच बीच में नसों