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देश चालवणा-या माणसांची गोष्ट -- दिवाळी अंक नमस्कार

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डूबेंगे शर्ममें बारबार -- (दिल्ली गँगरेप केस)

डूबेंगे शर्ममें बारबार -- (दिल्ली गँगरेप केस) दिल्ली एक बार फिर शर्म में डूबी। परसों घटी गँगरेप के मुद्देपर फिर हाहाकार हुआ -- चूँकि संसद चल रही थी तो कई सांसदों को अपना दुख, क्रोध, हतबलता व्यक्त करने का मौका मिला। लेकिन मैं कहना चाहूँगी कि इतनेभरको कर्तव्यपूर्ती समझकर चुप मत बैठो। आज संसदमें लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार है, काँग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी है, विपक्ष नेता सुषमा स्वराज है। कल तक राष्ट्रपति प्रतिभा पाटील थी, इनसे मैं कहूँगी -- आज लम्बेचौडे प्लान बनानेका, नया कानून गढनेका वक्त नही है। जो कानून हैं, उन्हें शीघ्रतासे क्रियान्वित करनेकी जरूरत है। पीडितोंका बयान मॅजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराओ और पकडे गये आरोपियोंका भी -- क्योंकि इसी खामी के कारण कई मुकादमोंमें सजा नही हो पाती है। एक सेशन जज को तत्काल इस काम की ड्यूटी हायकोर्ट सौंप सकता है कि उसके पास हर दिन सुनवाई चलेगी -- जो भी गवाह मिलें उनकी साक्ष ली जायगी। और इसका मॉनिटरिंग भी राष्ट्रीय महिला आयोगको सौंपो जो हर सप्ताह रिपोर्ट बनाकर सभी महिला सांसदोंको और हाईकोर्टको भी दे -- उनके साथ दिल्लीके लॉ कालेजेस की चुनी हुई प्रतिभ

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****** युगान्तर के पर्व में

युगान्तर के पर्व में - लीना मेहेंदळे हम कहते सुनते हैं कि हिंदु धर्म मे चार वेद कहे गये हैं - ऋग्वेद , यजुर्वेद , सामवेद और अथर्व वेद | चार वर्ण भी कहे गये हैं - ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य और शूद्र | चार आश्रम हैं - ब्रह्मचर्य गार्हस्थ , वानप्रस्थ और संन्यास | इसी प्रकार चार युग भी कहे गये हैं - सत्य युग , त्रेता युग , द्बापर युग और कलि युग | मेरी मान्यता हैं ये सभी संकल्पनाएँ एक दूसरे में गुंथी हुई हैं | देखा जा सकता हैं कि सत्य युग में समाज की परिकल्पना तो उदित हो चुकी थी लेकिन राजा और राज्य की परिकल्पना अभी दूर थी | आग का आविष्कार हो चुका था , उसी प्रकार भाषा का भी | आँकडों क े गणित का भी ज्ञान था और वर्णमाला तथा लेखन कला का भी | मनुष्य अपने आविष्कारों से नए नए आयाम छू रहा था | कृषि और पशुपालन दैनंदिन व्यवहार बन चुके थे और कृषि संस्कृति का विस्तार भी हो रहा था | ज्ञान और विज्ञान की साधना हो रही थी |