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****** युगान्तर के पर्व में

युगान्तर के पर्व में - लीना मेहेंदळे हम कहते सुनते हैं कि हिंदु धर्म मे चार वेद कहे गये हैं - ऋग्वेद , यजुर्वेद , सामवेद और अथर्व वेद | चार वर्ण भी कहे गये हैं - ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य और शूद्र | चार आश्रम हैं - ब्रह्मचर्य गार्हस्थ , वानप्रस्थ और संन्यास | इसी प्रकार चार युग भी कहे गये हैं - सत्य युग , त्रेता युग , द्बापर युग और कलि युग | मेरी मान्यता हैं ये सभी संकल्पनाएँ एक दूसरे में गुंथी हुई हैं | देखा जा सकता हैं कि सत्य युग में समाज की परिकल्पना तो उदित हो चुकी थी लेकिन राजा और राज्य की परिकल्पना अभी दूर थी | आग का आविष्कार हो चुका था , उसी प्रकार भाषा का भी | आँकडों क े गणित का भी ज्ञान था और वर्णमाला तथा लेखन कला का भी | मनुष्य अपने आविष्कारों से नए नए आयाम छू रहा था | कृषि और पशुपालन दैनंदिन व्यवहार बन चुके थे और कृषि संस्कृति का विस्तार भी हो रहा था | ज्ञान और विज्ञान की साधना हो रही थी |