लीना मेहेन्दले का लेखन

लीना मेहेन्दले का लेखन
लीना मेहेंदळे जन्मतिथि ३१ जनवरी १९५०
धरणगाँव (महाराष्ट्र)
शिक्षा : एम्‌.एस्‌.सी. (भौतिकी), पटना विश्र्वविद्यालय
एम्‌.एस्‌.सी. प्रोजेक्ट प्लानिंग, ब्रेडफोर्ड विश्र्वविद्यालय
एल् एल् बी मुंबई विश्वविद्यालय
मगध महिला कॉलेज, पटना में एक वर्ष फिजिक्स प्रवक्ता रहने के पश्चात्‌ सन्‌ १९७४ में भारतीय प्रशासनिक सेवा में प्रवेश और महाराष्ट्र में कार्यरत। महाराष्ट्र प्रशासन में कलेक्टर, कमिशनर, उद्योग विभाग, स्वास्थ्य विभाग आदि कई पदों पर कार्य किया। सांगली के जिलाधिकारी के पद से चलाया गया देवदासी आर्थिक पुनर्वास कार्यक्रम का देश-विदेश में काफी सराहा गया।
केन्द्र सरकार में संयुक्त सचिव पद से स्वास्थ्य मंत्रालय, महिला आयोग तथा पेट्रोलियम कंजर्वेशन रिसर्च एसोसिएशन, में कार्यरत रहे। वर्तमान में महाराष्ट्र प्रशासन में अपर मुख्य सचिव सामान्य प्रशासन।


श्रीमती लीना मेहेंदले एक कुशल प्रशासक, और सजग पाठक होने के साथ साथ हिंदी एवं मराठी की एक सिद्धहस्त लेखिका भी हैं। लेखन के विषय हैं प्रशासन, स्त्री विमर्ष, बाल साहित्य, विज्ञान, आयुर्वेद। भारतीय मिथकों का आधुनिक संदर्भ में विवेचन भी इनके लेखन की विशेषता मानी जाएगी। महाराष्ट्र में जन्मीं पर बिहार में पढी - बढी मेहेंदले संस्कृत एवं अन्य कई भारतीय भाषाओंका ज्ञान रखती हैं। साथ ही एक अच्छे वाचक होने के नाते अनुवाद के क्षेत्र में उन्होंने महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

मेहेंदलेकी अबतक चार सौ से अधिक रचनाएँ छप चुकी हैं। वे एक अच्छी वक्ता हैं और अबतक सौ से अधिक भाषण जनसामान्य की सभाओं में दे चुकी हैं जो प्रशासन से संबंधित हैं। मराठी--हिंदी लेखन का सिलसिला भी बीस वर्षों से अधिक काल चल रहा है। मराठी में लोकसत्ता, मटा, सकाळ, लोकमत, गांवकरी, अंतर्नाद, आदि अखबारों में तथा हिन्दी में नभाटा, जनसत्ता, हिंदुस्तान, देशबन्धु, महानगर, प्रभात खबर आदि अखबारों में नियमित लेखन। हंस, कथादेश, हिमप्रस्थ, विपाशा, योजना, इंद्रप्रस्थ, समकालीन साहित्य आदि मासिक प्रकाशनों में भी निरंतर लेखन किया।

प्रताडित महिलाओंके लिये दै. राष्ट्रीय सहारा में मार्गदर्शन परक समस्या-सलाह स्तंभ चार महीने चला। महिलाओंपर होनेवाले अपराधोंके संबंध में गहरा अध्ययन और लेखन किया है।

आकाशवाणी एवं दूरदर्शन पर भी कई कार्यक्रमों में सहभाग लगातार होता रहता है। विश्ष उल्लेखनीय है कि अपने शासकीय कार्य को बढावा देने के लिये लीनाजी ने इन दोनों माध्यमों का बखूबी उपयोग किया है। तीन बडे कार्य़क्रम जो PCRA के लिये तैयार किये व चलाये – बूँद बूँद की बात (250 एपिसोड – 7 भाषाओंमें 50 आकाशवाणी केंद्रोंसे), खेल खेल में बदलो दुनिया (दूरदर्शन के लिये हिन्दी में 180 एपिसोड, तमिल में 26 व आसमिया में 26) तथा संरक्षण योग – (आस्थापर 78 एपिसोड) । इनके अलावा कई अन्य छोटे कार्यक्रन तैयार किये।

बाल साहित्य भी बालभारती, देवपुत्र, नंदन, स्नेह इत्यादि मासिकों में छपता रहता है। प्रशासन, अणु- विज्ञान, पक्षी निरीक्षण, आकाश निरीक्षण, ऊर्जा तथा निसर्गोपचार विषयों पर लेखमाला, चार बाल कथासंग्रह प्रकाशित।
NBT के लिए डेमोक्रेसी शीर्षक पुस्तक का मराठी अनुवाद।

ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेता कवि श्री कुसुमाग्रज की १०८ कविताओंका सुंदर और समर्थ अनुवाद मेहेंदले ने किया है जो आनन्दलोक शीर्षक पुस्तकमें संकलित हैं। इनमें से ४० कविताएँ लीनाजी एवं लक्ष्मीशंकर बाजपेयी के स्वरमें ऑडिओ कॅसेट पर उपलब्ध हैं। लीनाजी नें कई अन्य कविताओंका भी हिन्दी व मराठी में अनुवाद किया है तथा कई भारतीय भाषाओंसे अनूदित दो कथासंग्रह प्रकाशित हुए हैं।

कुल हिन्दी पुस्तकें –
समाज व प्रशासनिक मुद्दों पर हिंदी दैनिकों के लिए लिखे लेखों के संग्रह --
जनता की राय
है कोई वकील लोकतंत्रका
मेरी प्रांतसाहबी
बालसाहित्य --
फिर वर्षा आई -- (बालकथा संग्रह)
सुवर्ण पंछी – पक्षी व प्राणी निरीक्षण का अनूठा लेखन
हमारा दोस्त टोटो – हमारे पालतू स्वामीभक्त कुत्तेकी कहानी
महिला- विमर्श --
देवदासी -- अपने कार्यालयीन अनुभव पर आधारित --खास तौर पर ग्रामीण महिलाओं के लिए लिखी गई
शीतला माता – 17वीं सदीके आयुर्वेदिक लसीकरण का पक्ष बताती है
गुजारा भत्ते का कानून – प्रताडित महिलाओंके लिये मार्गदर्शन परक
ललित लेखन --
मन ना जाने मनको – कुछ अपनी, कुछ अनूदित कथाओंका संग्रह
एक था फेंगाड्या – ज्ञानपीठ से प्रकाशित -- डॉ गद्रे के मराठी उपन्यास का अनुवाद
संपादित पुस्तकें –
बूँद बूँद की बात -- ऊर्जा संरक्षण पर
संपादित पुस्तक – युगंधरा -- स्त्री सक्षमीकरण के मुद्दों को प्रभावी ढंग से उठाती हैं।
कुल मराठी पुस्तकें –
ये ये पावसा
सोनं देणारे पक्षी
नित्यलीला
लोकशाही
इथे विचारांना वाव आहे
प्रशासनाकडे वळून बघतांना
खिंडीच्या पलीकडे
एक शहर मेले त्याची गोष्ट

आज हिंदी के साथ साथ सभी भारतीय भाषाएँ अंग्रेजी की तुलना में पिछड रही हैं इसे दुर्भाग्यपूर्ण मानते हुए उन्हें आगे बढाने के लिए मेहेंदले कुछ ठोस उपायों की पक्षधर हैं जिनमें संगणक सुविधा जैसे मुद्दे भी शामिल हैं। अपने कार्यालयीन कामकाज के हेतु महत्वपूर्ण विषयों पर दो बार हिंदी भाषी मासिक पत्रिकाओं का संपादन भी किया। पहली थी निसर्गोपचार वार्ता तथा दूसरी है संरक्षण चेतना (पेट्रोलियम के संदर्भ से)। इन्हीं विषयों पर वीडियो फिल्में, एवं रेडियो कार्यक्रम भी तैयार करवाए। मेहेंदले स्वयं भी आकाशवाणी तथा दूरदर्शन के कई कार्यक्रमों में नियमित वक्ता हैं।

विभिन्न भाषी आधुनिक एवं प्राचीन साहित्य से गहराई से परिचित होने के कारण मेहेंदले की रचनाएँ एक अनूठा, विशाल कॅनवास प्रस्तुत करती हैं। यही अनूठापन उनके भाषणों में भी ध्वनित होता है।
फिलहाल दूरदर्शन के माध्यमसे संस्कृत को बढावा देने और नेटवर्क स्थापित करने के लिये प्रयत्नशील।
http://www.leenameh.blogspot.com
leenameh@yahoo.com
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