चित्र -- मराठी कथा से अनुवाद भाग 4/4
चित्र -- मराठी कथा से अनुवाद भाग 4/4 Also kept on website man_na_jane_manko मूल मराठी कथा -- परशुराम देशपांडे हिन्दी अनुवाद -- लीना मेहेंदले ॥॥॥॥॥॥ भोलानाथ की कॉमेंट्री चालू थी-- यहाँ राजकवि था केशव और राजनर्तकी गणेशकुँवर। वह भी कवयित्री थी। उसका बडा सम्मान था। रानी ने उसे राजघराने की स्त्र्िायोंकी बराबरीमें पालकी का सम्मान दिया था। अन्य राजस्त्र्िायोंकी तरह वह भी सुरंग के रास्ते बेतवा नदी पर नहाने जा सकती थी। राजकवि केशव भी राजा की पंगत मे बैठता था। बहुत ही कलाप्रिय घराना था। तभी प्रभुदास वहाँ पहुँचा। हमें भूतकालसे वर्तमान मे खींचते हुए उसने प्रस्ताव रख्खा-- आशुतोष, तेरी और अमिता की शादी के लिये इससे अच्छी जगह क्या हो सकती है? यहाँ अयोध्या से पधारे स्वयं रामचंद्र जी हैं।पंडित का काम करने के लिये मैं और भोलनाथ हैं। कन्यादान के लिये नायर और जयंती है। ये सामने इतने बाल बच्चे हैं जो बाराती बन जायेंगे। तू और अमिता अभी इसी पल ब्याह रचा ले। भोलानाथ ने सुर में सुर मिलाया-- हाँ अमिता, मंगल कार्य के लिये हर मुहूर्त शुभ होता है। जयंती ने भी फौरन अमिता का हाथ पकड कर कहा-- मैं कन्यादान ...